श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, श्रीरंगम में स्थित एक पवित्र हिंदू धर्म स्थल है। यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भगवान को रंगनाथन के रूप में पूजा जाता है, इन्हे भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। यह मंदिर, द्रविण शैली में बना हुआ है जिसमें संतों द्वारा कई महिमाएं का वर्णन किया गया है जो दिव्यप्रबंध को उजागर करते है। इस मंदिर में पहले 108 दिव्य दिसाम लिखे है जिन पर भगवान विष्णु को बनाया गया है।
यह मंदिर, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध वैष्णव मंदिरों में से एक है, इस मंदिर से कई कहानियां और कथाएं जुड़ी हुई है। यह मंदिर बेहद राजसी ढंग से निर्मित है। यह मंदिर, शक्ति और साधना का प्रतीक है।इस मंदिर को प्राचीन काल से ही प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना हुआ है, यहां पर डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों ने कई बार आक्रमण किया। इस मंदिर ने कई संकट झेले है।
रंगनाथ स्वामी मंदिर श्रीरंगम में स्थित हिन्दुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिन्दू देवता भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे भूलोक का वैकुंठ या भगवान विष्णुजी का धाम माना जाता है। यहां भगवान विष्णु की पूजा श्री रंगनाथन के रूप में की जाती है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर के निर्माण से संबंधी कई प्राचीन कहानियां जुड़ी हुई हैं।
रंगनाथ स्वामी मंदिर से जुड़ी एक कथा (Story of Sri Ranganatha Swamy Temple)
हिन्दू मान्यता के अनुसार श्री रंगनाथन भगवान विष्णु का ही अवतार हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार वैदिक काल में गोदावरी नदी के तट पर गौतम ऋषि का आश्रम था। उस समय अन्य क्षेत्रों में जल की काफी कमी थी। एक दिन जल की तलाश में कुछ ऋषि गौतम ऋषि के आश्रम जा पहुंचे।
अपने यथाशक्ति अनुसार गौतम ऋषि ने उनका आदर सत्कार कर उन्हें भोजन कराया। परंतु ऋषियों को उनसे ईर्ष्या होने लगी। उर्वरक भूमि की लालच में ऋषियों ने मिलकर छल द्वारा गौतम ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा दिया तथा उनकी सम्पूर्ण भूमि हथिया ली।
इसके बाद गौतम ऋषि ने श्रीरंगम जाकर श्री रंगनाथ की आराधना की और उनकी सेवा की। गौतम ऋषि के सेवा से प्रसन्न होकर श्री रंगनाथ ने उन्हें दर्शन दिया और पूरा क्षेत्र उनके नाम कर दिया। माना जाता है कि गौतम ऋषि के आग्रह पर स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मंदिर का निर्माण किया था।
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर की मान्यता (Importance of Sri Ranganatha Swamy Temple)
शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन रंगनाथ मंदिर में हर साल रंग जयंती का आयोजन किया जाता है। रंगनाथ स्वामी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह उत्सव पूरे आठ दिन तक चलता है। माना जाता है कि इस पवित्र स्थान पर बहने वाली कावेरी नदी में कृष्ण दशमी के दिन स्नान करने से व्यक्ति को अष्ट-तीर्थ करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।
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